कल सुबह की किरणों के साथ
वर्तमान एक नया आयाम लेगा |
अपने को इतिहास को समर्पित कर
भविष्य के लिए नए द्वार खोलेगा |
अपने रक्त-रंजित हश्र को छिपाए ,
रक्त-विहीन भविष्य की दुआए मांगेगा |
करुण-विलापो से घिरा हुआ फिर भी,
भविष्य का स्वागत-गान गायेगा |
बुझे हुए वो दीप भी कल
नववर्ष की बांहों में जगमगएँगे |
मुरझाये हुए वो चेहरे भी आनेवाले
नववर्ष की गोद में खिलखिलाएँगे |
सुन्न हो चुके सुर्ख होंठ भी कल
नववर्ष के हर्ष में गीत गुनगुनाएंगे|
जो पीछे रह गए, उनको भी साथ लेने की
नववर्ष में हम कसमें खायेंगे |